सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को फैसला सुनाया कि आत्महत्या के लिए उकसाने जैसे गंभीर अपराधों में आपराधिक कार्यवाही पूरी तरह से आरोपी और मृत व्यक्ति के बीच वित्तीय समझौते के आधार पर उच्च न्यायालयों द्वारा रद्द नहीं की जा सकती है। न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम की खंडपीठ ने तर्क दिया कि हत्या के प्रयास और आत्महत्या के लिए उकसाने जैसे अपराध पूरे समाज के खिलाफ अपराध हैं, न कि केवल एक व्यक्ति के खिलाफ। अदालत ने फैसला सुनाया, “आईपीसी (आत्महत्या के प्रयास) की धारा 306 के तहत…
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