दम तोड़ती पत्रकारिता की रीड़ की हड्डी ग्रामीण पत्रकारिता

भारत एक गाँव प्रधान देश है , जिसकी आबादी का ८०% हिस्सा गाँवो मे निवास करता है | पत्रकारिता जगत मे भी खबरो का सागर गाँवो से ही निर्मित होता है , देश की लगभग ८०% आबादी का प्रतिनिधित्व करती, चूल्हे-चौके से बाहर खबरो का अथाह संसार देखने और समझने वाली हिन्दी पत्रकारिता की रीड़ की हड्डी मानी गई ग्रामीण पत्रकारिता आज अपने अस्तित्व पर मंडरा रहे ख़तरो से जूझती नज़र आ रही है | गाँवो मे खबरो की उत्सुकता देखते ही बनती है और यक़ीनन इंतजार भी रहता है…

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