जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति के खिलाफ कोई एफआईआर न होने पर उसके खिलाफ पारित प्रिवेंटिव डिटेंशन आदेश को रद्द कर दिया है। जस्टिस संजय धर की एकल पीठ ने टिप्पणी की, “आश्चर्य की बात है, जब याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है, तो उसे एफआईआर आदि के 27 लीव कैसे प्रदान किए गए हैं। यह हिरासत में लेने वाले प्राधिकारी की ओर से पूरी तरह से दिमाग का इस्तेमाल न करने और अतिउत्साह को दर्शाता है, जो रसीद की प्रामाणिकता पर गंभीर संदेह…
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