दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि अग्रिम जमानत याचिका दायर करने के लिए हाईकोर्ट या निचली अदालत में से किसी एक को चुनने के आवेदक के विवेक को सीआरपीसी की धारा 438 को संकीर्ण रूप से परिभाषित करके प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता। जस्टिस चंद्र धारी सिंह की एक अवकाश पीठ ने प्रावधान का विश्लेषण करते हुए कहा कि अग्रिम जमानत मांगने के लिए सीधे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने पर कोई रोक नहीं है और ऐसे मामलों से निपटने के लिए दोनों अदालतों का समवर्ती अधिकार क्षेत्र है। अदालत ने कहा,…
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